हिन्दी कविता
Papular Hindi poem![]() |
| आप सब |
जिंदगी को समझने में।
हर आँरजु अधूरी हो गई।।
करना सब कुछ चाहते थे।
पर नियत अनेक हो गई।
जब मिली सारी खुशियां तो।
सहज गए थे, हम।।
दिया ऊपर वाले ने,
बहुत कुछ।
पर,
हमने ओडी ओ ,
माया की चादऱ फटी हो गई।।
देखना चाहते थे,
अपनी आंँखों से खुशी के नजारे।।
पर ,अब हमारी आंँखों की रोशनी ही ,
शायद कमजोर हो गई।
पर ,अब हमारी आँखों की
रोशनी ही शायद कमजोर हो गई ।
-दिलीप पवार-

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