Hindi poem
उम्मीद से प्यार,
हवाओ से नजरे मिला बैठे ।
हमने भी उसी सूरत से
आंखें लगा बैठे ।
उसी ने हमको बांध रखा था ,
अपनी बाहों में ।
जरा सी हलचल क्या हुई ,
जमाने में ।
सारे अंधेरे देकर हमें ,
अचानक भूला गई ।
हम तो जिंदा थे, उसके गम में ।
उसने तो सारी मोहब्बत् को ही
कोई बदनाम कर दी ।
-Dileep pawar
उम्मीद से प्यार,
हवाओ से नजरे मिला बैठे ।
हमने भी उसी सूरत से
आंखें लगा बैठे ।
उसी ने हमको बांध रखा था ,
अपनी बाहों में ।
जरा सी हलचल क्या हुई ,
जमाने में ।
सारे अंधेरे देकर हमें ,
अचानक भूला गई ।
हम तो जिंदा थे, उसके गम में ।
उसने तो सारी मोहब्बत् को ही
कोई बदनाम कर दी ।
-Dileep pawar
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