Papular Hindi kavita
कि चेहरे थे,सब नुरानी ।
बाते थी सब ओ पुरानी ।
कालेज मे थे ,जब हम..
लगी रोग सबको बिमारी
हर कोई ताक रहा है, चेहरे,
जुल्फे सबकी काली घटाथी।
ऐसे उछले ऐसे कुदे,
स्वरो को गीतो से गाते थे।
हर पल टुट रहे दिल यहां ।
हर दिन जुडती नई आभा है ।
जिसको जरुरत थी ,
उसको ओ मिल जाए ।
हम कहे नैनो से ,और ओ
बैठै ही समझ जाए ।
कुछ सपनो मे खोये और
कुछ सपनो से होये रहते है।
क्या बताएँ, किसको बताएँ,
सब प्रेम रस मे सोये रहते है।
(दिलीप पवार)
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Hai mar dala
ReplyDeleteSorry kuch karan se javab nhi de paya
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