dilkekarib: दिल कि धडकन: कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मे ।
रुकसत हुआ हूँ,जमाने से तेरी चाहत में।
कौन कहता है,आवारा नही होता इंसान प्यार को पाने में।
जो कभी ना देखे किसी लडकी को ,ओ झाक रहा है।
सारे जमाने को ।
पलके बिछाए रहता है,आसयानो मे।
और तु मिलने ना आये तो,
दिन काला लगता है,अमावस में।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मे ।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मे ।
अरे ! दिन वो काला ही हो गया था ।
दर्द तो तब हुआ, जब सुबह हो गई मैयखाने( शराबखाना) में ।
और हल्ला कर ही देते हम पर क्या ! करे
खुद मेरा सुरज मिलने आया था, किनारे में ।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने में ।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मेंं ।
रुकसत हुआ हूँ,जमाने से तेरी चाहत में।
कौन कहता है,आवारा नही होता इंसान प्यार को पाने में।
जो कभी ना देखे किसी लडकी को ,ओ झाक रहा है।
सारे जमाने को ।
पलके बिछाए रहता है,आसयानो मे।
और तु मिलने ना आये तो,
दिन काला लगता है,अमावस में।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मे ।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मे ।
अरे ! दिन वो काला ही हो गया था ।
दर्द तो तब हुआ, जब सुबह हो गई मैयखाने( शराबखाना) में ।
और हल्ला कर ही देते हम पर क्या ! करे
खुद मेरा सुरज मिलने आया था, किनारे में ।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने में ।
कौन कहता है,अंधेरा नही होता, सुरज के जमाने मेंं ।
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