Hindi kavita
अब ओ हमे सताने लगी है।
जो कभी हमे ,मिलने को तरस्ती थी।
दिन तो कट जाते है,
और हम,
हमारे सपनो मे तडप रहे होते है।
उसके दर्द को झेल भी लेते ,
हम उसके आशिक है।
पर क्या कहे ,
ओ उसी वक्त अपनी करवटे नींंद मे बदल रही होती है।
हमे पता चला है,उसकी सांसो से ,नींद उसे भी नही और नींद हमे भी नही ,
कई दिनो से नही आई है। (दिलीप पटले)
अब ओ हमे सताने लगी है।
जो कभी हमे ,मिलने को तरस्ती थी।
दिन तो कट जाते है,
और हम,
हमारे सपनो मे तडप रहे होते है।
उसके दर्द को झेल भी लेते ,
हम उसके आशिक है।
पर क्या कहे ,
ओ उसी वक्त अपनी करवटे नींंद मे बदल रही होती है।
हमे पता चला है,उसकी सांसो से ,नींद उसे भी नही और नींद हमे भी नही ,
कई दिनो से नही आई है। (दिलीप पटले)
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