Papular hindi kavita
हिन्दी कविता
कई दिनों से चाहत पुरानी है ।
सामने तो रहते थे, हम तेरे।
पर आँख तुने, अब मारी है ।
कह देना दुनिया वालों से ,
किस्से बहुत पुराने हैं ।
कागज बहुत लिखे ,पर
दिल की शायरी हमने,
भिजवाई है ।पढ़ पढ़ कर,
ये आदत जो हमने लगाई है।
पढ़ पढ़ कर ये आदत जो हमने लगाई है।
जब ही तो हमारी मोहब्बत रंग लाई है।
जब ही तो हमारी मोहब्बत रंग लाई है।
(दिलीप कुमार पटले)

No comments:
Post a Comment