दिल्लगी - हिन्दी कविताएं- दिल के करीब

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Friday, 17 November 2017

दिल्लगी



       हद से हद तक प्यार हो गया।
       सारी गलीयाँ भुल गये हम  ,
   अपनी।

     दरवाजे तो हमने दिल के खोले थे।
अपने।

  किव बाजारो मे गमो कि बरसात हो गई।
 मोल बहुत था ,उसका छुने से पहले।
  
किव छु ने बाद ,ओ पराई हो गई।   
  किव छु ने बाद ,ओ पराई हो गई।
-दिलीप पवार

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