मेरे हर शब्दों में बस ,नाम तुम्हारा होगा ।
मैं जो गा रहा हूं ,बस वो पैगाम तुम्हारा होगा ।।
इन्हीं नजरों से ,हमने तुमको देखा है ।
इन्हीं भावों से ,हमने तुमको जाना है ।।
तुम्हारे मर्म का स्पर्श ,पर अब होने लगा है ।
घड़ी जो भी हो मगर ,दिल तुम्हारी यादों में अब खोने लगा है।।
घुटन सी लगती है, हमको ,अब हमारे इन महलों में।
हवा भी छूकर पावन ,हो ती है, तुम्हारे अब इन शहरों में।।
उन्हीं लब्जो को ,हम ,लिखते हैं, जिनमें बात तुम्हारी।
हर शब्दों को ,गाये कैसे, मोहब्बत ही बदनाम होती है हमारी।।
तू चाहे दर्पण से, सजा ले ,सारा घर अपना।
तेरी आंखों में जो मोती आए, बस वो काम होगा अपना ।।
तुम्हारी यादों को हमने, चांद तारों में लिख डाला।
तू जाने तो( ठीक )मानू ।
वरना हमने अपने आपको पागल लिख डाला।।
दिलीप पवार08/10/18
हिंदी कविता दिल के करीब
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Dileep kumar patle
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