सारी उम्र हम ,सपने पाने में लगे रहे हैं ,
कि सारी उम्र हम सपने पाने में लगे रहे हैं।
यूं ही हम अपने किस्मत आजमाने में लगे रहे है ।
और हमें ,अपनी ही सांसो पर भरोसा नहीं ,
कब थम जाऐगी।
और हमें, अपनी ही सांसों पर भरोसा नहीं,
कब थम जाऐगी।
और हम दुनिया को आइना ,दिखलाने मे लगे रहे है।
कि समझ लिए होते, हमने दुनिया की पहेलियों को ।
कि समझ लिए होते, हमने दुनिया की पहेलियो को।
अखबारभी ढूंढते हमें सदियों बाद हमारी बीती कहानियो को।
-दिलीप पवार
कि सारी उम्र हम सपने पाने में लगे रहे हैं।
यूं ही हम अपने किस्मत आजमाने में लगे रहे है ।
और हमें ,अपनी ही सांसो पर भरोसा नहीं ,
कब थम जाऐगी।
और हमें, अपनी ही सांसों पर भरोसा नहीं,
कब थम जाऐगी।
और हम दुनिया को आइना ,दिखलाने मे लगे रहे है।
कि समझ लिए होते, हमने दुनिया की पहेलियों को ।
कि समझ लिए होते, हमने दुनिया की पहेलियो को।
अखबारभी ढूंढते हमें सदियों बाद हमारी बीती कहानियो को।
-दिलीप पवार
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