प्रकृति प्रेम धरा के दामन में आँँरजू है - हिन्दी कविताएं- दिल के करीब

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Tuesday, 5 June 2018

प्रकृति प्रेम धरा के दामन में आँँरजू है

       धरा के दामन की आँँरजू में
            सहजे थे ,हम!
             जीने के लिए एक पौधा लगाओ ,
               
यह पुकार थी, हमारी
             जिसने हमें  पाला ,
   
 उसे बचाने की अर्ज थी। हमारी।
      उसे बचाने की अर्ज थी। हमारी। (दिलीप पवार)

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