आज कल शिशो मे होड सी लगी है।
संग तेरी मुरत ही दिवारो मे जोड सी लगी है।।
तुने आहिस्ता दी थी, दिल मे दस्तक।
युव अचानक छोड गई ,हम को ।।
पुछ मेरे घर कि दिवारो को हर,
कंकड से जोडकर मैने तेरी मुरत
लगाई है।
अब दिल देता नही है, दुवाई
पर हर धडकन मे तेरी यादे समाई है। ।
जीये तो हम कैसे जीये हवाओ ने भी ,
सिफ्र और सिफ्र तेरी तनहाई सुनाई है।।
सिफ्र और सिफ्र तेरी तनहाई सुनाई है।।

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