Mahobbat की गलियों में चाहने आया हूं - हिन्दी कविताएं- दिल के करीब

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Thursday, 2 November 2017

Mahobbat की गलियों में चाहने आया हूं

मोहब्बत् की गलियो में ,
     चाहनेआया हूँ।
   मोहब्बब करने आया हुँ।
    मोहब्बत् मिल ही जाए तो ढीक है,
  वरणा,
तेरे घर के सामने मरनेआया हूँ।
- दिलीप पवार

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