बार-बार जुल्फें ना उठाओ - हिन्दी कविताएं- दिल के करीब

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Saturday, 4 November 2017

बार-बार जुल्फें ना उठाओ

   
 बार -बार जुल्फे उठाना खुबसुरती है, तेरी।
 ऐ सब तेरी मोहब्बत जानती है।
           
 तिरची नजरो से देखना ,तेरी मोहब्बत है,
     दिवानगी की ।

 फिर दुरिया बना कर, मुझे क्यो मारती है।
 (दिलीप पवार)

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